मन को अखाड़ा न बनने दें
प्रश्न(प्र): क्या ध्यान का मतलब है सब कुछ होगा बाहर, लेकिन आपके मन पर उसका असर नहीं होगा?
आचार्य प्रशांत(आचार्य): बढ़िया, सब चलेगा।
तुम्हारे ध्यान में आने से दुनिया का काम-धाम नहीं रुक जाएगा। तुम्हारा अपना काम-धाम भी रुक नहीं जाएगा। तुम खेल रहे हो तो खेलोगे, तुम दौड़ रहे हो तो दौड़ोगे, तुम पढ़ रहे हो तो पढ़ोगे। पर तुम जो भी कुछ कर रहे होगे उसमें पूरी तरह से मौजूद रहोगे, सोए-सोए से नहीं रहोगे, खोए नहीं…