मन के मोटापे से बचो
कॉलेज, घर, दोस्त, माता-पिता, शिक्षक, शॉपिंग मॉल; तुम्हारा संसार यही है, इतना ही है।
कोई और होगा जिससे मैं पूछूँ, “संसार माने क्या?,” वो शायद बोलेगा, ‘लेबोरेटरी’ (प्रयोगशाला)। यह उसका संसार है। अगर कोई प्रेम में है और मैं उससे पूछूँ, “संसार क्या है?,” वो कहेगा, “मेरी प्रेमिका।” क्या कोई एक संसार है तुम्हारा?
मन ही संसार है।
जैसा तुम्हारा मन, वैसा संसार।