मन के मते न चालिए

आचार्य प्रशांत: दो तरीके की गुलामी होती है —

एक तरीके की गुलामी होती है, ‘बड़ी सीधी’। वो ये होती है कि कोई तुमसे कहे कि, “चलो ऐसा करो”, ये गुलामी साफ़-साफ़ दिखाई पड़ती है कि मुझे कहा गया तो मैंने करा। पर ये गुलामी बहुत दिन तक चलेगी नहीं, क्यों? क्योंकि दिख रहा है साफ़-साफ़ कि कोई मुझपर हावी हो रहा है। तो तुम्हें बुरा लगेगा। तुम बचकर निकल जाओगे।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org