मन कामवासना में इतना लिप्त क्यों?

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, जीवन का अधिकांश समय कामवासना में व्यतीत किया है। किशोरावस्था से लेकर अबतक कामवासना से मन ग्रसित रहा। जीवन की सारी व्यग्रता, उदासी या मन की किसी भी व्यग्र कर देने वाली स्थिति में वासना को ही द्वार बनाया खाली होने के लिए या कुछ क्षणों की शांति पाने के लिए। कुछ सालों से काम ऊर्जा क्षीण-सी प्रतीत हो रही है लेकिन मन से उतर नहीं रही है। बल्कि इसका क्षीण होना ही और व्यग्र करता है, डराता है। आचार्य जी, मन काम को…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org