मन और जीवन में बदलाव

आप कैसे हैं और आपका जीवन कैसा है- यह एक साथ बदलता है।

यह मज़ाक की बात है कि हम सत्य के समीप आ जाएँ, बोध को उपलब्ध हो जाएँ, और हमारा जीवन जैसे चल रहा है वैसे ही चलता रहे।

बोध आपके जीवन को बदले इसकी आपने अनुमति दी है?

जो अपने जीवन को बदलने से रोकेगा, उसका आतंरिक बदलाव रुक जाएगा। जो पा रहा है भीतर, वो न गा रहा हो बाहर- तो उसका भीतर का बदलाव रुक जाएगा।

जब मन बदल रहा है तो जीवन बदलेगा, और जो बदलाव को रोकेगा उसका मन बदलना रुक जायेगा।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org