मदद या अहंकार?
आचार्य प्रशांत (आचार्य): देखिये, रमन महर्षि थे। तो लोग पूछते थे कि-“आप यहाँ पड़े रहते हो मंदिर में, बाहर निकल कर के कुछ करते क्यों नहीं?” और वो जिस समय पर थे, पिछली सदी का जो पूर्वार्थ था, सन से 1910 से 1940-1950 तक जीए थे। अब उस समय पर भारत में हज़ार तरह की समस्याएँ थीं, गरीबी भी थी, अशिक्षा भी थी, जातिवाद भी था, धार्मिक दंगे भी हुए, स्वतंत्रता की लड़ाई भी चल रही थी। ये सब चल ही रहा था। तो हज़ार मुद्दे थे जिन पर लोगों से मिला जा सकता था, बातचीत की जा सकती थी।…