मजबूरी झूठ है
कोई ये न कहे कि मैं क्या करूँ? उसने मुझसे इतनी बुरी बात बोली कि मुझे गुस्सा आ ही गया। मुझे गाली मिली, मुझे गुस्सा आया, “मैं मजबूर था।”
नहीं!
मजबूर ‘यंत्र’ होता है, पूर्व निर्धारित कृत्य मशीन के होते हैं। बटन दबा, पंखा चलने लग गया ये बात ठीक है। पर इंसान कहे कि मेरा बटन दबा और मैं बकने लग गया तो वो झूठ बोल रहा है। हम जो करते हैं वो हमारा चुनाव होता है इसलिए मजबूरी बहुत झूठा शब्द है।