भोलापन माने क्या?

भोलापन शब्द जो है, वो, वो मायने नहीं रखता जैसे आमतौर पर समझे जाते हैं? भारत में भोला किसको कहा गया? शंकर को।

तो बेवक़ूफ़ तो नहीं होता होगा भोला? या शिव का अर्थ होता है बेवक़ूफ़?

शिव तो बेवकूफी के विपरीत हैं, विपरीत भी नहीं हैं, आगे हैं, अतीत हैं। भोला होने का मतलब है कि तुम किसी चीज़ से अछूते हो।

भोंदू कौन? जिसको समझ में ही नहीं आ रहा कि क्या चल रहा है। और भोला कौन? जो कह रहा है कि जो चल रहा है वो चल रहा होगा, हम मौज में हैं। जो परम चीज़ है वो हमें समझ में आ गयी है, अब ये तुम्हारी छोटी-मोटी निकृष्ट नासमझियों का हम करें क्या? हमें ये सुहाती ही नहीं, हमें इसमें कोई रस ही नहीं है, हम पढ़ना ही नहीं चाहते, हम सुनना ही नहीं चाहते। हम सुनना नहीं चाहते कि ये सब तुम क्या कानाफूसी कर रहे हो। ऐसा नहीं कि तुम हमें बताओगे तो हमें समझ नहीं आएगा, समझ हमें आएगा, समझ आएगा पर रस नहीं आएगा।

इन दोनों का अंतर समझते हो? इन दोनों में अंतर ये है, कि तुम मुझसे आकर के बोलो कि आप आज बरकुरजा खाएंगे? अब मुझे समझ में ही नहीं आया कि तुम मुझे क्या खिला रहे हो। चूँकि समझ ही नहीं आया तो मुझे उसमें कोई रस भी नहीं आया। ये भोंदूपन है। भोंदूपन में रस इसीलिए नहीं आता क्योंकि समझ ही नहीं आया।

और भोलापन क्या है? कि तुमने आकर के कहा, खीर खाओगे? मैं जानता हूँ खीर क्या है, पर मैं ना सिर्फ जानता हूँ, मैं अच्छी तरह जानता हूँ खीर क्या है, और मैं जानता हूँ खीर में हिंसा है। और मैं कह रहा हूँ, ‘ना’। हम प्रेम से ऐसे भरे हुए हैं, खीर की हिंसा बर्दाश्त नहीं कर पाएँगे।…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org