भोगवृत्ति और अध्यात्म
आज अगर कहीं पर भी भुखमरी है तो वो इसलिए नहीं है कि बहुत कम उत्पादन हो रहा है, वो इसलिए है क्योंकि आदमी लालची है भोग का। वो एक तरफ तो भोगता है उन सब चीज़ों के माध्यम से जो उत्पादित हो रही हैं और दूसरी तरफ वो भोग-भोगकर के संतानें उत्पन्न करता है। नतीजा — हम एक ऐसी दुनिया चाहते हैं जहाँ बहुत सारे लोग हों क्योंकि भोगने में संतानोत्पत्ति निश्चित रूप से शामिल है। आपको आपके बढ़े-बूढ़े आशीर्वाद भी देते हैं तो दो बातें अक्सर कहते हैं — “दूधो नहाओ, और पूतो…