भूखे मर जाना, गुलामी की रोटी मत खाना
प्रश्न: आचार्य जी, युवा लोगों को सबसे पहले अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए, या मुक्ति पर ध्यान देना चाहिए? जब अंतिम लक्ष्य मुक्ति है तो क्या उसके बारे में प्रयत्न करते रहना चाहिए या नहीं?
आचार्य प्रशांत: दोनों अलग-अलग आयाम की बातें हैं, बेटा।
शरीर है न तुम्हारे पास? शरीर है तो खाते भी होगे। तो जीविका कहीं से तो कमानी पड़ेगी न? इसीलिए जीविका का प्रश्न हल्के में नहीं लिया जा…