भावुकता हिंसा है,संवेदनशीलता करुणा

भावना क्या है, इसको समझो! जिसको तुम कहते हो कि अमुक व्यक्ति भावुक हो गया उसका अर्थ क्या है, इसको समझो! जब एक बच्चा पैदा होता है तो वो वृत्तियों का एक पिंड होता है ,वृत्तियों का समूह। वृत्तियाँ ही पैदा होती हैं । उनमें जो मूल वृत्ति होती है, वो ‘अहम वृत्ति’ होती है। फिर बाहर से प्रभाव आते हैं, वो प्रभाव जब मन में ऊपर-ऊपर पर रहते हैं, सतह पर रहते हैं तो उनको कहते हैं विचार। वही प्रभाव जब मन में गहरे प्रवेश कर जाते हैं, तो फिर वो वृत्तियों को जगा देते हैं और वृत्तियाँ मन के तहखाने में पड़ी होती हैं, उनमें बड़ी उर्जा होती है।

तुम ऐसे समझ लो कि अगर बाहर कुछ है, जिससे तुम्हें सिर्फ थोड़ी बहुत अड़चन हो रही है या ऊब हो रही है, तो मन में विचार उठेगा कि ये सब क्या है? थोड़ा सा क्लेश उठेगा। तुम सोचोगे कि, ‘मैं इस जगह से दूर हट जाऊं, या तुम सोचोगे कि मैं इस स्थिति को बदल दूँ, या इस व्यक्ति को यहाँ से हटा दूँ।’ और ये सब कुछ मन में चलता रहेगा और किसी और को पता भी नहीं लगेगा; तुम बैठे-बैठे सोचते रहो!

पर यदि बाहरी प्रभाव ताकतवर हो और विचार गहरा होता जाए, तो वृत्ति जग जाएगी और अब तुम्हारे शरीर पर भी इस विचार का असर दिखाई देना शुरू हो जाएगा। पहले तुम सिर्फ सोच रहे थे, अब तुम पाओगे कि तुम्हें क्रोध आ रहा है, तुम्हारा चेहरा लाल हो रहा है और अगर क्रोध बढ़ता ही जाए तो तुम्हारे हाथ-पाँव कांपने लगेंगे, मुठ्ठियाँ बंद हो जाएँगी और शरीर कांपने लगेगा — ये वृत्ति है। अब तुम कहोगे कि ‘मैं भावुक हो गया।’

भावना कुछ नहीं है, भावना बस वृत्ति का प्रकट हो जाना है।

मन के तहखाने में जो वृत्तियाँ छिपी रहती हैं, सांप की तरह, जब वो प्रकट हो जाती हैं तो उन्हें भावना कहते हैं।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org