भावुकता क्या है?

प्रश्न: सर, मैं पूछना चाहता हूँ कि एक इंसान की ज़िन्दगी में भावनाओं का किस तरह से असर होता है? भावनाएँ बहुत तरीके की हो सकती हैं। दोस्त के प्रति, माँ-बाप के प्रति। या अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो उस उद्देश्य के प्रति आपका व्यवहार कैसा रहता है। आप किसी चीज़ को किस हद तक महत्व देते हैं। हम आपसे पूछना चाहते हैं कि किसी व्यक्ति के प्रति या किसी उद्देश्य के प्रति भावुक हो जाना क्या है।

आचार्य प्रशांत: भावुकता क्या है? भावुकता चीज़ क्या है? भावुकता का मतलब क्या?

श्रोता १: बहुत जल्दी किसी चीज़ के लिए भावुक होना।

श्रोता २: हित, लगाव।

आचार्य: ‘हित, लगाव’। साफ़-साफ़ समझ लो, भाव विचार ही है! विचार जब तक हल्का रहता है, शरीर को उसका पता नहीं चलता। जब विचार तीव्र हो जाता है, घनीभूत हो जाता है, तो उसका असर शरीर पर भी दिखाई देने लगता है। तुम्हें अगर हल्का-सा गुस्सा है, तो वह तुम्हारे चेहरे से पता नहीं लगेगा। पर वही गुस्से का विचार जब बढ़ जाएगा, तो तुम्हारी आँखें लाल होने लगेंगी, शरीर थकने लगेगा। तब तुम कहोगी, ‘यह भावुक हो रहा है’।

तुम थोड़े से मायूस हो, तो विचार है मायूसी। तुम कुछ सोच रहे हो, उससे मायूस हो। तुम थोड़े मायूस हो, तुम्हारा चेहरा साधारण-सा ही बना रहेगा, कोई कुछ कह नहीं पाएगा। पर वही मायूसी जब बढ़ जाएगी, तब तुम्हारी आँखों से आँसूं आ जाएँगे, और तुम कहोगे कि मैं भावुक हो गया। भावुकता कुछ नहीं है। विचारों का बढ़ जाना ही भावुकता है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org