भारत क्या है? भारतीय कौन?

जो सच्चाई और प्रेम के प्रति झुकाव आध्यात्मिक तल पर देखने को मिलता है भारत में, वही वैज्ञानिक तल पर भी था, वही चिकित्सा के क्षेत्र में भी था। भारत यूँ ही थोड़े ही सोने की चिड़िया था। जंगल में ध्यान करने से या मंदिर में भजन करने से अर्थव्यवस्था की तरक्की नहीं हो जाती न? और आर्थिक तौर पर भी अगर भारत विश्व का अग्रणी देश था तो इसका अर्थ है कि उद्योग-धंधों में तरक्की थी, वैज्ञानिक आविष्कार हो रहे थे, गणित, विज्ञान, कलाएँ सब निखार पा रहे थे। पुरानी इमारतों को देखिए, पुराने मंदिरों को देखिए, जब तक शिल्पकला में और गणित में और इंजिनियरिंग में आप सिद्धस्थ ना हों, आप वो सारे निर्माण कर कैसे लेंगे जो यहाँ हुए? ज़बरदस्त संगम: आध्यात्मिक तौर पर भी विश्व की राजधानी, बल्कि विश्वगुरु, और आर्थिक तौर पर भी। आर्थिक तौर पर भारत ने अगर ज़रा भी कम तरक्की की होती, तो दुनिया भर के लोग भारत की ओर आकर्षित होते ही क्यों? भले ही वो भारत को आर्थिक तौर पर लूटने के लिए ही आकर्षित हुए, पर अगर वो लूटने भी आए तो इससे यही पता चलता है ना कि यहाँ लूटने के लिए बहुत कुछ था। और जो बहुत कुछ था, उसका निर्माण किया गया था, रचा गया था, उसे कमाया गया था।

ये एक विरल मेल है जो आज भी दुनिया में बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई लोग हैं जो आंतरिक रूप से आध्यात्मिक हैं और भौतिक रूप से समृद्ध। भारत महान है क्योंकि भारत ने ये संगम फलीभूत करके दिखलाया था। और जितने भी लोग यहाँ बैठे हैं जो भारत की महानता में विश्वास रखते हैं और भारत को महानता के और नए-नए सोपानों पर देखना चाहते हैं, उनको ये समझना होगा कि महानता का वास्तविक अर्थ क्या होता है। लडने-भिड़ने…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org