भाईभतीजावाद का मूल कारण
प्रश्नकर्ता: आजकल नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद) इतना फैल क्यों गया है?
आचार्य प्रशांत: हाल ही में ये मुद्दा काफी सुर्खियों में आया है। लोग इसकी बात कर रहे हैं। सवाल उठाए जा रहे हैं। अच्छा है कि आप इसका कारण, इसका मूल कारण जानना चाहती हैं।
क्या है नेपोटिज्म? या कुनबा-परस्ती या कुल-पक्षपात या परिवारवाद, यारवाद? जो अपने से जुड़े हुए लोग हैं, रक्त-संबंधों से, सामाजिक-तौर पर, उनके पक्ष में पूर्वाग्रहग्रस्त रहना। अपने पैसे का, अपनी ताक़त का उपयोग करके अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाने की कोशिश करना, यही है न नेपोटिज्म?
कहाँ से शुरू होता है? दो बाते हैं इससे संबंधित — कहाँ से शुरू होता है? और कैसे फैल जाता है?
शुरू होता है मूल अहंकार से। जो कि कहता है कि, "मैं एक शरीर हूँ, एक व्यक्ति हूँ।" और जब आप एक शरीर होते हो, एक व्यक्ति होते हो तो साथ-ही-साथ आपकी मूल भावना ये भी होती है कि कुछ व्यक्तियों से ही आपकी उत्पत्ति हुई है और कुछ व्यक्ति हैं जो आपके अपने हैं और बाकी फिर पराए हैं। क्योंकि सब तो अपने हो नहीं सकते। ठीक वैसे जैसे सब आपके माता-पिता नहीं हो सकते, सब आपके बेटे-बेटी नहीं हो सकते, सब आपके पति-पत्नी नहीं हो सकते। तो जहाँ अह्म आता है, जहाँ शरीर भाव आता है वहाँ तुरंत अपनों और परायों के बीच में एक सीमा रेखा खिंच जाती है।
अब अह्म का तो काम ही होता है ये कहना कि, "कुछ है जिससे मैं संबंधित हूँ, कुछ है जिससे मैं असंबंधित हूँ।" बड़ा अकेला सा होता है न अह्म। उसे जुड़ने के लिए, संबंधित होने के लिए लगातार कोई चाहिए। नहीं तो उसकी पहचान ही पूरी नहीं पड़ती। तो अह्म ने कहा — मैं देह हूँ, और मुझे संबंधित होना है किसी से। जिससे अह्म संबंधित हो जाता है वो उसके लिए बड़ा आवश्यक हो जाता है। जैसे…