भय से छुटकारे का सरल उपाय

जिसको हम भय मुक्ति कहते हैं, जिसको हम जीवन मुक्ति कहते हैं, वो वास्तव में अहम् मुक्ति होती है, अहम् ही भय है, अहम् ही सामान्य जीवन है। अहम् की दृष्टि से देखें तो भय मुक्ति या जीवन मुक्ति उसके लिए जीवन का अंत होती है, उसके लिए मृत्यु समान होती है और मृत्यु से कौन नहीं घबराएगा, कौन है जो मृत्यु को सहर्ष स्वीकारेगा, आमंत्रित करेगा, इसलिए अहम् इन सीधी बातों को जानते समझते भी अस्वीकार करता है, कुछ कुतर्क करता है।

अहम् कहता है कि मैं जिंदा हूँ, ये उसकी मूल धारणा है मैं हूँ तो सही न, और अध्यात्म कहता है ये सब कुछ जो तुम्हें होने जैसा प्रतीत हो रहा है, तुम्हें उसी से तो मुक्ति चाहिए।

तुम्हारी ज़िंदगी से अगर चिंता हट जाए, तनाव हट जाए, भय हट जाए, मोह हट जाए, तो तुम्हें लगेगा ज़िंदगी ही हट गई क्योंकि ज़िंदगी थी क्या, एक अनावृत श्रृंखला इन्हीं सब चीज़ों की, कोई भी क्षण होता है तुम्हारे जीवन में जब तुम पूरे तरीके से मुक्त होते हो इन सबसे?

अध्यात्म का मतलब होता है कि मन को सब मौसमों से आज़ाद करके आकाश में ही स्थापित कर देना। मौसम अब रहेंगे लेकिन बाहर-बाहर रहेंगे, भीतर साफ़ आकाश है या ऐसे कह लो मन अब आकाशवत हो गया है, जिस पर आते-जाते, गुजरते मौसमों का कोई फर्क नहीं पड़ता।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org