भय से छुटकारे का सरल उपाय

ब्राह्यान्तराणां शत्रूणां स्वभावं पश्य भारत।
यन्न पश्यति तद्भूतं मुच्यते स महाभयात् ॥
-कामगीता (श्लोक ८)

अनुवाद: भारत! बाहरी और भीतरी शत्रुओं के स्वभाव को देखिए-समझिए। (ये मायामय होने के कारण मिथ्या हैं, ऐसा निश्चय कीजिए)। जो मायिक पदार्थों को ममत्व की दृष्टि से नहीं देखता, वह महान भय से छुटकारा पा जाता है।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org