ब्रह्मविद्या को सबसे कठिन विद्या क्यों कहा जाता है?

आचार्य प्रशांत: छठा, सातवाँ और बाईसवाँ श्लोक उद्धृत कर रहीं हैं। कह रही हैं कि इंद्रियाँ, विषय, मन, बुद्धि, अहंकार, सुख-दु:ख, चेतना, धृति, ये सब क्षेत्र हैं और इनका दृष्टा है पुरुष। लेकिन यह पुरुष प्रकृतिस्थ है इसीलिए यह प्रकृति का भोग करता है, जन्म लेता है और मरता है। ठीक।

तो कह रहीं हैं, “यह सब पढ़कर तो मुझे यह समझ में आ रहा है कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। यह पुरुष…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org