बोधग्रंथों को पढ़े बिना ध्यान करने की कोशिश
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जो जीवन का पूरा बदलाव चाहते हों,
उनके लिए है ध्यान।
जिन्हें जीवन का झूठ दिखने लगे,
उनके लिए है ध्यान।
प्रचलित मेडिटेशन आदि को ध्यान न कहें।
जान देने से ज़्यादा कठिन है ध्यान।
जान देने में सिर्फ़ जिस्म टूटता है,
ध्यान में वो टूटता है जिसे आप ‘मैं’ कहते हो।
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आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।