बुद्ध ने राज छोड़ा, तो हमने प्याज छोड़ा

ये प्याज-लहसुन का खेल आसान है। कोई जीवन में कोई क़ुरबानी न दे, कोई जीवन में अपने किसी तरह का बदलाव लाने को तैयार न हो, तो इतना तो कर ही सकता है न कि मैं सत्य का इतना प्रेमी हूँ कि मैंने प्याज छोड़ दी।

ल्यो! अरे हमने भी कुछ किया। अरे बुद्ध ने राज्य छोड़ा होगा, हमने प्याज छोड़ी है। तुमने राज्य छोड़ा हमने प्याज छोड़ी। हम किसी से कम नहीं।

मैं प्याज खाने का हिमायती नहीं हूँ। इस तरह के तमो गुणी पदार्थ या रजो गुणी पदार्थ शरीर के लिए हानिकारक तो होते ही है। अल्प मात्रा में ठीक है, औषधि की तरह भी ठीक हैं। पर आप उसकी आदत लगा लो, हानी तो होती ही है। लेकिन हानि और हानि में तुलना करनी पड़ेगी न! मच्छर काट जाए आपको और साँप काट जाए आपको, कुछ तो अंतर रखना पड़ेगा न?

विकल्प दे रहे हैं कि मच्छर काटे और नागराज काटे, किंग कोबरा, किससे कटवाना है? भगवान करे दोनों में से कोई न काटे। मगर इन दोनों में से किसी को भगाना ही है तो मच्छर को भगाओगे क्या?

इसी तरह से पहले एक का उपचार करो, फिर दो, तीन, चार, पाँच, छह पर आना। पाँच और छह के चक्कर में एक-दो को मत भूल जाना।

ऐसी गलती बच्चे अपनी बोर्ड इत्यादि की परीक्षाओं में करते हैं। एक सवाल होगा १० नंबर का और एक सवाल होगा आधे नंबर का। वो जो आधे नंबर वाला सवाल है उसमें उलझ कर आध घंटा लगा देंगे। और फिर बड़ी संतुष्टि के साथ फौड दिया। देखा हल कर दिया ना। अरे तुमने उसको हल भी कर दिया तो क्या पाया? उसको हल करने का नतीजा ये निकला कि १० नंबर के सवाल के लिए तुम्हारे पास अब ऊर्जा और समय बहुत कम बचे भाई।

अधिकांश ऊर्जा दीजिये अहम् के अवलोकन को।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
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Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org