बुद्ध के किस्सों पर कम, अपने जीवन पर ज़्यादा ध्यान दो
बुद्ध के साथ जैसे हुआ, वैसे थोड़ी होगा तुम्हारे साथ और बुद्ध के साथ जैसे हुआ वो तुम कभी पता भी नहीं लगा पाओगे। लोगों के तरीके हैं किस्सा बताने के, कहानी बताने के। तुम्हें पता कैसे लगेगा कि वास्तव में क्या हुआ था?
अध्यात्म में रुचि है या किस्सों में? मुक्ति चाहिए या किस्से चाहिए?