बुद्धि के दोषों को हटाने का उपाय क्या?

बुद्धि की वृत्ति से आगे निकलने का मतलब होता है कि कुछ ऐसा जीवन में ले आ लेना जो साधारणत: तुम्हारी बुद्धि तुमको सुझाएगी नहीं। बुद्धि तो प्रकृति का ही एक उत्पाद है, तुम्हारे पास ये मस्तिष्क न हो, तो तुम्हारी बुद्धि बचेगी क्या? बुद्धि तो प्राकृतिक है और जो कुछ भी प्रकृति से संबंधित है, वो त्रिगुणात्मक ही होता है। तो बुद्धि में भी ये जो गुण संबंधित वृत्तियाँ है वो हमेशा रहेंगी ही रहेंगी। कुछ ऐसा करना है जो प्रकृति से आगे का है, जो बुद्धि से आगे का है, जिसको करने की आम तौर पर प्रकृति तुम्हें राय नहीं देगी, वो करना होता है, उसी का नाम अध्यात्म है।

पहला काम ये करना है कि अपनी ओर से अपने विचारों को जितना परख सकते हो, अपनी मंशा की, अपने जीवन की और अपने उद्देश्यों की जितनी सफाई कर सकते हो, कर लो भाई। उसके बाद ग्रंथो के पास जाना है गुरु की कृपा से। पहली कोशिश ये करनी है कि अपनी ओर से सच्चा जीवन जीने के, मन की सफाई के, जितने तुम उपाय कर सकते हो करो। इन उपायों के फल स्वरूप ही तुम्हें कोई पथ प्रदर्शक मिल जाएगा।

कर्म में सबसे पहले आता है अपने ऊपर काम करना, अपने ऊपर पहले जितना काम कर सकते हो कर लो, फिर गुरु के समीप जाओ और गुरु उसके बाद जो ग्रंथ बताएँ, उन ग्रंथों का चिंतन मनन करो, उन्हीं वेद-वाक्यों के आधार पर जीवन व्यतीत करो, तुम्हारा काम हो जाएगा, यही तरीका है और कोई तरीका नहीं है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org