बीमारी ही नकली दवाई बनकर बीमारी को कायम रखती है
वक्ता: मुक्ति से बचने के लिए, सच से बचने के लिए आपके पास कोई बहाना नहीं हो सकता; क्यूँकी सच तो सच है। तो फिर एक ही तरीका रह जाता है उससे बचने का, वो होता है कि आप कोई झूठा सच आविष्क्रित कर लें। झूठा सच, नकली सत्य, नकली गुरु; ये सब बहुत ज़रूरी हैं, ताकि आप असली के पास न जा सकें। आप को वही रहे आना है जो आप हैं, लेकिन जो आप हैं, उसमें आपको कष्ट भी खूब है। तो अपने ही आप को, आपको ये दिलासा भी देनी है कि “मैं कुछ…