बीमारी का पता चलना इलाज की शुरुआत है
3 min readOct 30, 2020
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प्रश्न: आचार्य जी, प्रणाम। विचारों का प्रवाह पहले से अधिक अनुभव होता है। कहाँ-कहाँ की सारहीन बातें मन को घेरे हैं। मन को निरंतर चलता देखकर खीज-सी उठती है, कि ये विचार क्यों और कहाँ से आ रहे हैं। पहले इतना शोर अनुभव नहीं होता था। अब मन यह देखकर इतना परेशान क्यों है?
आचार्य जी, कृपया इस पर प्रकाश डालें।