बाहर काम अंदर आराम
“श्रम से सब कुछ होत है, बिन श्रम मिले कुछ नाहीं।
सीधे उंगली घी जमो, कबसू निकसे नाहीं।“
~ संत कबीर
वक्ता: कबीर हैं।
सवाल यह है कि कबीर श्रम की महत्ता पर इतना ज़ोर दे रहें हैं, और आपने बार-बार कहा है कि श्रम की कोई कीमत नहीं।
कबीर जो कह रहें हैं वो अपनी जगह बिल्कुल-बिल्कुल ठीक है। कबीर ने इतना ही तो कहा न कि, ‘श्रम से ही सब कुछ होत…