बाहर काम अंदर आराम

“श्रम से सब कुछ होत है, बिन श्रम मिले कुछ नाहीं।

सीधे उंगली घी जमो, कबसू निकसे नाहीं।“

~ संत कबीर

वक्ता: कबीर हैं।

सवाल यह है कि कबीर श्रम की महत्ता पर इतना ज़ोर दे रहें हैं, और आपने बार-बार कहा है कि श्रम की कोई कीमत नहीं।

कबीर जो कह रहें हैं वो अपनी जगह बिल्कुल-बिल्कुल ठीक है। कबीर ने इतना ही तो कहा न कि, ‘श्रम से ही सब कुछ होत…

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

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