बाहरी चुनौतियों से लड़ो और आंतरिक चुनौतियों को भूल जाओ
जब तक बाहरी समस्या आंतरिक न बनने लगे। उदाहरण के लिए यही ले लीजिये “जैम की बोतल, मेरे हाथ में जैम की बोतल है। मैं इसे खोल रहा हूँ।” इस तरह के रोज़मर्रा के काम होते हैं न। आपका यह दरवाज़ा ही नहीं खुल रहा है, तो वो भी एक चुनौती है, या और कोई बात, आपका कोई कपड़ा नहीं मिल रहा है, वो भी चुनौती है। आपको कहीं किसी समय पर पहुँचना है, यह भी एक चुनौती है। यह चुनौतियां जब आंतरिक बनने लगें, ‘आंतरिक’ बनने से…