बाहरी घटनाएँ अन्दर तक हिला जाती हैं?

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, समय बदल रहा है, और जिस क्षेत्र में मैं कार्यरत हूँ उस क्षेत्र में धीरे-धीरे मंदी आ रही है। मैं इस मंदी से आंतरिक रूप से बहुत ज़्यादा प्रभावित हुआ हूँ। कारणवश अब आर्थिक रूप से भी मैं बिल्कुल खाली हो गया हूँ, और इस प्रक्रिया में मैंने ख़ुद पर बहुत कर्ज़ा भी उठा लिया है।

आपसे यह समझना चाहता हूँ कि जब बाहरी सारी परिस्थितियाँ प्रतिकूल हों तब भी मैं कैसे साहस रखूँ, उमंगित रहूँ, और अपने…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org