बाहरी आंदोलन से पहले भीतरी क्रांति
इंसान जब भी करेगा कुछ तो करने का माध्यम तो वो स्वयं ही बनेगा, इतिहास को देखोगे अगर तो अच्छाई होती अगर पाओगे तो वो भी इंसान के माध्यम से ही हो रही है और बुराई होती पाओगे तो उसका माध्यम भी बनता तो इंसान ही है।
सब क्रांतियाँ बाहरी व्यवस्था को बदलती हैं, सब क्रांतियाँ विचारधाराओं का परिवर्तन मात्र होती हैं या जीवनशैली का परिवर्तन हो जाती है अगर तुम औद्योगिक क्रांति या हरित क्रांति की बात करो। राजनैतिक…