बस बेहोश बहाव
आचार्य प्रशांत: तुम नाव के पास जाते हो तो पाते हो कि नाव का जो नाविक है, वो सो रहा है। तो नाव अब पूरी तरह से लहरों के हवाले है। जो भी बड़ी लहर आएगी उस पर बाहर से प्रभाव डालेगी और अपने साथ ले जाएगी, फिर दूसरी लहर आएगी उसे कहीं और ले जाएगी। तुम्हारी आदत यह डाल दी गई है कि तुम बाहरी प्रभावों से चलते हो। अगर बाहर से प्रेरणा मिली तो तुम कुछ कर दोगे और जो भी प्रेरणा मिली तुम वही कर दोगे। चाहे कितना ही कठिन क्यों न हो तुम कर डालोगे क्योंकि आन्तरिक तो कुछ है नहीं। यहाँ…