फ़िल्में, टीवी, मीडिया, और आज का पतन

लोग
जीवन सीख रहे हैं
लफंगे फ़िल्मकारों से।

कहते हैं:
फ़िल्मकार बेचारा
तो वही दिखा रहा है
जैसा समाज है।

मैं पूछता हूँ:
समाज में कृष्ण और कबीर,
होश और सादगी,
नहीं हैं?
वो क्यों नहीं दिखाते?

हमारी सोच,भावनाएँ
उस धूर्त फ़िल्मकार की हैं।
वही आज का गुरु है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org