फ़ायदे का फ़ायदा क्या?
--
प्रश्नकर्ता (प्र): सर, जीवन में कुछ चीज़ें हैं जो फ़ायदे की हैं और कुछ नुक़सानदायक। ये बातें तो अनुभव से ही सीखी जा सकती हैं ना?
आचार्य प्रशांत (आचार्य): फ़ायदे का फ़ायदा क्या है? तुम बचपन से ही तो फ़ायदे की तलाश में नहीं थे। तुम्हें ये किसने सिखाया कि फ़ायदा बड़ी बेहतरीन चीज़ है। फँस गये? जो ये फ़ायदा तुम खोज रहे हो, तुम्हें कैसे पता कि फ़ायदे का कुछ फ़ायदा होता है? ये तुमने बस सुन लिया है। तुम्हारे चारों ओर एक समाज है जो फ़ायदे के पीछे भाग रहा है। घर में भी तुमने यही देखा है, तो तुम्हें लगता है कि फ़ायदा कोई बहुत अच्छी बात होगी। तुम्हें कैसे पता कि फ़ायदा फ़ायदेमंद है?
प्र: सर, मैं तो बस वो शब्द इस्तेमाल कर रही हूँ।
आचार्य: तुम कोई दूसरा शब्द इस्तेमाल कर लो, बेनीफिट, प्रॉफिट। लेकिन तुमने जो पहला ये वाक्य बोला बेटा, वही देखो कितना अनुपयुक्त है। तुमने कहा, जीवन में कुछ चीज़ें हैं; पहली बात ये समझना, ध्यान से, इसको भूलना नहीं कि ‘फ़ायदे का फ़ायदा क्या है?’ उपयोग का उपयोग और फ़ायदे का फ़ायदा? तुम्हें किसने सिखा दिया कि फ़ायदेमंद होना ही चाहिए। लाभदायक होना ही चाहिए। उपयोग से अर्थ क्या है तुम्हारा?
और दूसरी चीज़ तुमने कही कि “कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो हम सिर्फ़ अनुभव से सीख सकते हैं”। चलो हम समझतें है इस बात को।
एक आतंकवादी के लिए फ़ायदा क्या है? आतंक फैला देना।
एक नेता के लिए फ़ायदा क्या है? चुनाव जीत जाना।
एक लड़के के लिए फ़ायदा क्या है? लड़के से मेरा मतलब उसकी लिंग-पहचान से है। तो अगर वो पुरुष है तो उसके लिए फ़ायदा क्या होगा? लड़की का मिल जाना।
एक लड़की के लिए फ़ायदा क्या है? लड़के का मिल जाना।
तुम जिसको फ़ायदा बोलते हो, वो तो तुम्हारे अपने संस्कार से आ रहा है ना?
(सभी हामी में सर हिलाते हैं)
एक आतंकवादी को बोला जाये कि “तुम्हारे लिए हम कौशल-वृद्धि और व्यक्तित्व-विकास शिविर लगा रहे हैं,” तो वो इसमें से क्या फ़ायदा चाहेगा? क्या फ़ायदा चाहेगा? कि “मुझे बताओ कि हथगोला, और दूर तक कैसे फेंके और मेरा चेहरा और भयानक कैसे हो जाए?” तुम जब अद्वैत बोध-शिविर में आते हो, तो तुम जो फ़ायदा सोच कर आते हो, जो तुम्हें मिलना चाहिए, वो वही फ़ायदा तो होगा ना, जो तुम्हारे संस्कारों से निकल रहा है?
क्या मैं तुम्हें वो फ़ायदा दूँ जो तुम चाहते हो? क्योंकि तुम तो वही चाहोगे जो तुम हो। एक आतंकवादी का व्यक्तित्व-विकास कार्यक्रम चलेगा तो वो कहेगा, “मुझे और आतंकवादी बनाओ”। तुम अपने जूनियर के पास जाओ, फर्स्ट इयर वालों के पास और उनसे पूछो कि “तुम्हारा व्यक्तित्व-विकास कार्यक्रम…