प्रेम हो तो स्पष्टता आ जाती है

प्रश्न: आध्यात्मिक साधना की प्रक्रिया में कई बार घरवालों के, मित्रजनों के कई प्रश्नों का सामना करना पड़ रहा है। मुझे पाँच वर्ष हो गए, पर अभी तक मुझमें इतनी स्पष्टता नहीं आई है कि मैं उनके प्रश्नों का उत्तर दे सकूँ।
आचार्य प्रशांत: स्पष्टता नहीं चाहिए, प्रेम चाहिए। जो कर रहे हो, अगर वो आपको दिलोजान से प्यारा हो, तो तकलीफ क्या होगी किसी को नहीं भी समझा पाए तो?