प्रेम — मीठे- कड़वे के परे
कुरबाणु कीता तिसै विटहु, जिनि मोहु मीठा लाइआ ॥
– गुरु नानक
आचार्य प्रशांत: “कुरबाणु कीता तिसै विटहु, जिनि मोहु मीठा लाइआ” — मैं उस पर कुरबान जाता हूँ जिसने मोह को मीठा बना दिया है।
मोह हमेशा कड़वा होता है। मोह का अर्थ है अपने से बाहर किसी से जुड़ना। वो हमेशा ही कड़वा होता है। मीठा मोह असंभव है। तो जब मीठे मोह की बात की जा रही है, तो अर्थ है कि जिसने मोह का कड़वा होना…