प्रेम बेगार नहीं है

प्रश्नकर्ता (प्र): सर, अगर मैं किसी के साथ कोई सम्बन्ध या दोस्ती रखूं, तो क्या हर बात को पूरा करने की ज़िम्मेदारी मेरी ही बनती है या उसमें दूसरे की भी कुछ सहभागिता होनी चाहिए?

आचार्य प्रशांत (आचार्य): देखो, सामने वाले को पूरा समझा जाता है, पूरा जाना जाता है। ठीक है? जब जानते हो, समझते हो कि मामला क्या है, उसके बाद तुम शर्तें नहीं रखते। यह नहीं कहते हो, ‘मैं इतना कर रहा हूँ, तुझे भी इतना करना है’। तुम अपनी ओर से पूरा करते हो…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org