प्रेम बिना जीवन कैसा?
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। मेरा प्रश्न है कि प्रेम क्या है और हम प्रेममय जीवन कैसे जी सकते हैं? बिना प्रेम का जीवन और प्रेममय जीवन में क्या अंतर होता है और उस अंतर को हम कैसे देख सकते हैं?
आचार्य प्रशांत: बिना प्रेम का जीवन ऐसा है जैसे सूखा पत्ता उड़ रहा है हवाओं के साथ, उसे कहीं नहीं पहुँचना। उसे जहाँ हवाएँ ले जाएँ वो उधर का हो जाता है। बिना प्रेम का जीवन ऐसा है जैसे कोई शराबी लड़खड़ाता घूम रहा हो गलियों में। उसे…