प्रेम पहले है, बाद में ज्ञान

नानक से प्यार होगा तो जपुजी खुद ही पढ़ लोगे, प्यार ही नहीं हुआ है तो जपुजी तुम्हें बोझ लगेगी। कृष्ण से प्यार किए बिना अगर तुमने गीता पढ़ी तो बड़े पत्थर आदमी हो। तुमने पढ़ कैसे डाली, ये १८ अध्याय झेले कैसे तुमने?

कबीर के दोहे पढ़ते हो सकता है समझ न आते हो क्योंकि तुम्हारी भाषा वो नहीं है लेकिन फिर भी कोई नाता जुड़ गया हो, बाकी कुछ भी न पता हो लेकिन कबीर पता हो तब समझना कि कुछ हुआ।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org