प्रेम क्या है?

तुम्हें कोई खिंचाव नहीं होता किसी के प्रति? जो भी खिंचाव हो रहा हो जान लो वो प्रेम ही है। प्रेम माने खिंचाव।

अब बस सवाल ये उठता है कि किसकी ओर खिंचे चले जा रहे हो?

भक्त होता है तो,भगवान को ओर खिंचता है।
कामी होता है तो, कामना की ओर खिंचता है।
पतंगा होता है तो, प्रकाश की ओर खिंचता है।
लोभी होता है तो, पैसे की ओर खिंचता है।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org