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प्रेम क्या है?

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तुम्हें कोई खिंचाव नहीं होता किसी के प्रति? जो भी खिंचाव हो रहा हो जान लो वो प्रेम ही है। प्रेम माने खिंचाव।

अब बस सवाल ये उठता है कि किसकी ओर खिंचे चले जा रहे हो?

भक्त होता है तो,भगवान को ओर खिंचता है।
कामी होता है तो, कामना की ओर खिंचता है।
पतंगा होता है तो, प्रकाश की ओर खिंचता है।
लोभी होता है तो, पैसे की ओर खिंचता है।

तुम जैसे हो, तुम उसी तरह अपने लिए आकर्षण का विषय चुन लोगे।

ज्ञानी, ज्ञान की ओर खिंचेगा,
मुमक्षु, मुक्ति की ओर खिंचेगा।

तुम कौन हो?

उसी से निर्धारित हो जाएगा, तुम्हारे लिए प्रेम की व्याख्या क्या है।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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