प्रेम क्या है?
1 min readFeb 3, 2020
प्रेम का मतलब यह नहीं है कि ‘तुम मुझे खुश रखो, मैं तुम्हें खुश रखूं’।
प्रेम मुक्ति है, खुशी नहीं।
खुशी तो हमें बंधनों में मिलती है वरना हम बंधनों में होते ही क्यों?
जिससे प्रेम होता है उसके विषय में, सुख — दुःख के आयाम में सोचा नहीं जाता।
ना यह सोचा जाता है इसको सुख दूँ, और ना यह सोचा जाता है इसको दुःख दूँ।
उसके विषय में मन एक ही शुभ विचार से भरा रहता है, ‘इसको सच्चाई कैसे दूँ?’
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