प्रेम की भीख नहीं माँगते, न प्रेम दया में देते हैं

जब तुम कहते हो कि तुम्हें अच्छा लगता है कि कोई तुम्हें प्यार करे, मैं पूछ रहा हूँ, तुम्हें कैसे पता कि वो जो दूसरा व्यक्ति कर रहा है उसका नाम प्यार है, उसी को प्रेम कहते हैं? तुमने अपनी कल्पना चलाई है, तुमने कहा है, “इस-इस तरह के व्यवहार को, ऐसे-ऐसे आचरण को मैं प्रेम का नाम दूँगा। और मैं कुछ ऐसी युक्ति करूँगा, कुछ ऐसा जुगाड़ करूँगा कि दूसरा व्यक्ति इस खास तरह का आचरण करे मेरे साथ। और जब वो वैसा आचरण…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org