प्रेम का नाम, हवस का काम

प्रेम का नाम, हवस का काम

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, चार साल से एक लड़के के साथ संबंध में हूँ। हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, पर प्यार के साथ रिलेशनशिप (सम्बंध) में रोमांस और इंटिमेसी (अंतरंगता) भी आते हैं। आज इतने सालों में उसको देखती हूँ तो दिखता है कि उसे तो सिर्फ फिजिकल लव (शारीरिक प्यार) ही चाहिए। शरीर से आगे वो कुछ देखता ही नहीं, मैं थक गई समझा समझाकर। मैं फँस-सी गई हूँ। प्यार तो मुझे भी चाहिए उससे पर सिर्फ देह वाला नहीं। मैं उसे दूर नहीं कर सकती क्योंकि उससे प्रेम है, पर उसकी शर्तें भी नहीं मान सकती। क्या करूँ?

आचार्य प्रशांत: प्रेम ना तुम्हें है, ना उसे है। अगर समझदार हो तुम तो मुझे अपना उत्तर यहीं पर खत्म कर देना चाहिए। पर तुम इतनी समझदार होती तो तुम्हें ये सवाल लिखने की नौबत क्यों आती? तो समझदार तुम हो नहीं इसलिए मुझे आगे अभी दस-पंद्रह मिनट बोलने की तकलीफ उठानी पड़ेगी।

क्या-क्या बातें कही हैं? चार साल से संबंध में हो, “हम दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, पर उसे सिर्फ फिजिकल लव ही चाहिए।”

ये फिजिकल लव होता क्या है? मेरे लिए तो आज ये बिलकुल नई चीज़ खुली है। थोड़ा समझाओ, मेरे भी ज्ञानचक्षु खुलें। ये फिजिकल लव क्या होता है? लस्ट (काम वासना) की बात कर रही हो, उसको फिजिकल लव मत बोलो। सेक्स (यौन-क्रिया) की बात कर रहे हो, उसको फिजिकल लव मत बोलो। पर ये भी वही, भाषा के पैंतरे हैं कि जब सेक्स को नाम ही अंग्रेजी भाषा ने दे दिया है ‘मेकिंग-लव’ तो वैसे ही तुमने उसको बोल दिया ‘फिजिकल-लव’*। ये *फिजिकल लव होता क्या है? अब ये मैं कह रहा हूँ ये बात तुमको तो थोड़ी-बहुत बुरी लग…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org