प्रेम और मोह में ये फ़र्क है
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रेम और मोह में क्या फ़र्क होता है?
आचार्य प्रशांत: प्रेम ऐसा है कि जैसे कोई चार दीवारों में क़ैद है और क़ैद उसे अखरने लगी है, बाहर की हवा प्यारी लगने लगी है, और बाँसुरी पर दी हुई तान हवा पर बहती हुई, उसकी दीवारों के बीच ही उसको आकर्षित करने लगी है। तो अब उसे दीवारें सुहाएंगी नहीं। दीवारों के भीतर बहुत कुछ ऐसा है जो सुख दे सकता है, साज-सज्जा है, सुविधा का सामान है; काफी कुछ है जो रुके रहने के…