प्राण क्या हैं?
उपनिषद् कहते हैं, “प्राण ही ब्रह्म है।” मिट्टी का आपका शरीर है, उसमें जितनी प्रक्रियाएँ होती हैं, वो सब यांत्रिक हैं। पर कुछ ऐसा भी घटित होने लगता है इस शरीर में जो यांत्रिक नहीं है। जो कुछ भी यांत्रिक है, उसका कारण होता है। कुछ ऐसा भी घटित होने लग जाता है इस शरीर में जो यांत्रिक नहीं है।
आप आनंद अनुभव कर सकते हैं, आप बोध में उतर सकते हैं। आप प्रेम में डूब सकते हैं। ये बड़ी विलक्षण घटना घटी। मिट्टी को प्रेम का अनुभव होने लग गया।