प्रसन्नता और आनंद में क्या अंतर है? स्वभाव क्या?
जाके जौन स्वाभाव, छूटे नहीं जीव सो,
नीम ना मीठी होय, सींचै गुड़ घीव सो।।
~ संत कबीर
प्रश्नकर्ता: जब स्वभाव बदल ही नहीं सकता तो गुरु किसी मनुष्य को कैसे जगाने में सहायता कर सकता है?
आचार्य प्रशांत: यहाँ पर कबीर जिस स्वभाव की बात कर रहे हैं, वो प्राकृतिक स्वभाव है। प्रकृति है। वो बदल सकता है। वो बदल न सकता…