प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी, और अध्यात्म

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, दैनिक जीवन में कभी-कभी थक जाता हूँ, जिस कारण अपने कार्यों को अच्छे से कर नहीं पाता। मेरी मदद करें!

आचार्य प्रशांत: क्या काम है जो करना चाहते हो?

प्रश्नकर्ता: जैसे कि बहुत पढ़ना होता है।

आचार्य प्रशांत: क्या पढ़ना रहता है?

प्रश्नकर्ता: जैसे मैं GATE की तैयारी कर रहा हूँ।

आचार्य प्रशांत: इसका कोई उत्तर तुम्हें अध्यात्म में नहीं मिलेगा। अध्यात्म इसलिए नहीं है कि तुम्हें GATE पास करा दे या CAT पास करा दे या UPSC करा दे।

अध्यात्म इसलिए नहीं है कि तुम्हें तुम्हारे द्वारा चुने गए लक्ष्य में सफलता मिल जाए। अध्यात्म बहुत मूलभूत चीज़ होती है। अध्यात्म घर पर लगाई हुई झालर नहीं होती कि घर तो तुमने अपने हिसाब से बना लिया और उस को सजाने के लिए उस पर झालर लटका रहे हो, गेरूए रंग की झालर है और तुम कह दो आध्यात्मिक हो गया घर! वो जैसे लोग घर बनाकर एक मुखौटा लेते हैं राक्षस का और उस पर नींबू-प्याज लटका देते हैं वह अध्यात्म नहीं होता।

अध्यात्म घर की बुनियाद होती है; घर के ऊपर रखा दिया नहीं होता, घर पर लटकती झालर नहीं होती, न नींबू प्याज होता है। वह घर की बुनियाद होती है। अध्यात्म होता है एक ही लक्ष्य को चुनना और वो लक्ष्य है मुक्ति! और उसी लक्ष्य के लिए जगना भी, सोना भी, खाना भी, पीना भी, करना भी और न करना भी।

लेकिन न जाने कहाँ से यह धारणा फैली हुई है कि UPSC क्लियर करना हो तो दिन में आधे घंटे…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org