प्रकृति है मैया, अहम है बबुआ

आचार्य प्रशांत: जीवात्मा प्रकर्ति से युक्त है। युक्त माने? जुड़ा हुआ, योग में। जो चीज़ किसी से योग में हो उसे कहते हैं युक्त। जीवात्मा त्रिगुणी प्रकृति से योग में है तो जीवात्मा गुणों से युक्त है। जीवात्मा प्रकृति से योग में है इसका क्या अर्थ है?

बात समझते चलिएगा। जहाँ समझ में नहीं आ रही हो, पूछिएगा। एक-एक करके श्लोक आगे बढ़ते रहें और जीवन में ना उतारें तो कोई लाभ नहीं।

जीवात्मा प्रकृति से योग में है इस बात का अर्थ क्या? जीवात्मा अगर अहम् है, तो अहम् क्या है? प्रकृति का ही एक तत्व। और इस बात की विवेचना सबसे सुन्दर कहाँ की गई है? श्रीमद्भगवद्गीता में, जहाँ पर प्रकृति की त्रिगुणात्मक सत्ता के बारे में श्रीकृष्ण ने विस्तार में बताया है। वो कहते हैं वहाँ पर कि अहम् भी प्रकृति का ही एक तत्व है।

प्रकृति माँ है। उस माँ के घर में बहुत सारे तत्व हैं जिसमें एक तत्व उस माँ का एक बच्चा, एक बेटा, अहम्, वो भी है। समझाने का एक तरीका है। ऐसा है नहीं, समझाने के लिए बोल रहा हूँ।

पूरा जो ब्रह्मांड है, उसको मानो एक घर। किसका घर है वो? प्रकृति। उसमें बहुत सारे क्या हैं? तत्व हैं। उन तत्वों में जो चैतन्य तत्व है उसका क्या नाम है? अहम्। तो पूरा ब्रह्मांड है, ब्रह्मांड प्रकृति का घर है, उसमें एक चैतन्य तत्व रहता है, उसका क्या नाम है? अहम्। माँ ने इस बेटे को पैदा किया है। माँ की उम्मीद है कि बेटा घर से बाहर निकलेगा और कुछ ऊँची उपलब्धि हासिल करेगा, जैसा कि माँओं का अक्सर ख्याल रहता है, इच्छा रहती है। अच्छी माँ होगी है तो अच्छी कामना ही करेगी अपने बेटे के लिए।

प्रकृति अच्छी माँ है, प्रकृति ने अपने बच्चे अहम् के लिए क्या कामना करी है? कि ये घर से बाहर निकलेगा। उसे अब पैदा घर में करा…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org