प्रकृति ही माया है
आचार्य प्रशांत: विश्व है, पूरा ब्रह्मांड ही है — ऐसा किसको लगता है? विश्व है भी इसका प्रमाण, या गवाह, या अनुभोक्ता कौन है? अहं है और मात्र अहं है उसके अलावा कोई नहीं है। आप ही हैं जिसके लिए ये विश्व है। यह तो छोड़िए कि आप नहीं रहेंगे तो भी दुनिया रहेगी क्या, आपकी ही अगर स्थिति बदल जाती है तो विश्व आपके लिए बदल जाता है, बल्कि लुप्त भी हो जाता है।
यह तो बहुत दूर की बात है कि अगर अहं नहीं है तो भी क्या संसार है, अहं की ही स्थिति बदल…