प्रकृति बची रहेगी, ख़त्म इंसान होगा
1 min readJul 14, 2020
इंसानियत जिस तरीके से जा रही है और जो हमने अभी पूरी तरीके से अहंकार पर आधारित जीने का ढांचा बना रखा है, वो या तो हमें बाहर से मार देगा और अगर बाहर से नहीं मारता संयोगवश तो भीतर से तो हमारा विनाश सुनिश्चित ही है बल्कि हो ही रहा है।
हम बहुत तेज़ी से एक ऐसी दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं जिसमें हर आदमी पागल होगा। बाहर से स्वस्थ होगा और भीतर ही भीतर साइको।
अब क्या करोगे, बताओ?
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आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।