पूर्व संध्या पर
Nov 21, 2022
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मैं बड़ी लगन से
जतन कर रहा हूँ
खूब छुप-छुप के,
इसीलिए अब
कविता काफी कम लिखता हूँ ।
मैं पैने कर रहा हूँ
चुपके से
अपने हथियार
तुम्हारे ही बीच रह कर
रंग-बिरंगा वेश पहन कर
हूँ तुम में से एक
(अभी)
सतर्क हूँ मैं
खुद को भी नहीं जानने देता