Aug 7, 2022
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पूरे जीवन में प्रतिपल
और क्या हो रहा है?
सुलग ही तो रहे हो!
धुआँ-धुआँ हो तुम,
इस खातिर नहीं जन्मे थे,
ये आवश्यक नहीं था!
तुम्हें जन्म इसलिए नहीं मिला था कि
तुम इतनी सड़ी-गली तरह से
इसको बिता दो।
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पूरे जीवन में प्रतिपल
और क्या हो रहा है?
सुलग ही तो रहे हो!
धुआँ-धुआँ हो तुम,
इस खातिर नहीं जन्मे थे,
ये आवश्यक नहीं था!
तुम्हें जन्म इसलिए नहीं मिला था कि
तुम इतनी सड़ी-गली तरह से
इसको बिता दो।
रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org