पूरी ज़िन्दगी डर में बीत गई
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जो भयातुर है, जो भयलोलुप है, उसके जीवन से भय कैसे जाएगा?
हज़ार तरीकों से हम भय को मात्र आमंत्रित ही नहीं करते, उसे एक शाश्वत जगह देते हैं। भय प्राणहीन है, उसमें ताकत नहीं होती कि वो आपसे चिपटा रहे, अपनी दिनचर्या को देखिए और देखिए कि कितने तरीकों से आप भय को प्रोत्साहन देते हो।
भय माने क्या?
अपने से बाहर की किसी भी चीज़ को अतिशय मूल्य दे देना ही भय है। संसार को अतिशय गंभीरता से ले लेना ही भय है। इस दुनिया का कुछ ऐसा है कि यहाँ आपने जो कुछ भी बड़ा कीमती माना वही आपके लिए जंजाल बन जाएगा। आपने जिस भी चीज़ को मन पर छा जाने दिया, वही आपके लिए नर्क बन जानी है क्योंकि जहाँ कुछ कीमती हुआ नहीं तहाँ उसके संरक्षण का ख्याल तुरंत आएगा।
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