पूरी ज़िन्दगी डर में बीत गई
जो भयातुर है, जो भयलोलुप है, उसके जीवन से भय कैसे जाएगा?
हज़ार तरीकों से हम भय को मात्र आमंत्रित ही नहीं करते, उसे एक शाश्वत जगह देते हैं। भय प्राणहीन है, उसमें ताकत नहीं होती कि वो आपसे चिपटा रहे, अपनी दिनचर्या को देखिए और देखिए कि कितने तरीकों से आप भय को प्रोत्साहन देते हो।
भय माने क्या?