पीड़ा है सहज स्वभाव से दूरी
आचार्य प्रशांत: सवाल ये है, कि अगर मनुष्य चैतन्य है तो ऐसा कैसे हो जाता है कि हम भी लोहे और चुम्बक कि तरह व्यवहार करने लग जाते हैं? अगर मनुष्य वास्तव में चैतन्य है, तो हमारे जीवन में प्रेम क्यों नहीं है?
इसका कारण ये है, कि चैतन्य होना हमारा स्वभाव है, पर हम अपने सहज स्वभाव से बहुत दूर रहते हैं। हम अर्ध-मूर्छित अवस्था में रहते हैं, या फिर ये कह लो कि हम अर्ध-चैतन्य अवस्था में रहते हैं। हम न तो पूरे तरीके से पत्थर ही…